मर्द सहना पड़ेगा ज़ुल्मों से तंग वो पहुचे जिस शहर जो वाशिंदा मिला “मोम” बनकर मिला मधुर बात कर वो बड़ा मुस्कुराता सदा दूषित हवा सा ... By Bijender Singh BhandariMarch 31, 20230 Entrepreneurs
Hindi आखिर कब तक – Poetry नारि जन्म ,जननी फलकारी स्नेह की पात्र हूँ , समझो तो मानस हूँ , समान हकधारी क्या दुखता है , कुछ समझो तो ... By Bijender Singh BhandariSeptember 5, 20220
Hindi अन्तिम पडाव उस वृद्ध को अब नींद आती नहीं है उसे खांसी भी बहुत सता रही है जोडों का दर्द चुप सहता है क्यों कि ... By Bijender Singh BhandariDecember 27, 20215
Hindi अधर में मजदूर मेरे दर्द का मंत्र परिजनों संग है, शकून का टौनिक वही पुराना है। आज घर गांव का महत्व हम समझे, अब तो हमको ... By Bijender Singh BhandariJuly 21, 20201
Hindi भगत देश का फिर लौटेगा तुम काहे को रोये थे प्रियवर, भगत सिंह स्वदेश पर मरता था। जब चुमा फंदा फांसी उसने, तब कितना गदगद वो दिखता था। ... By Bijender Singh BhandariJuly 7, 20200
अक्सर ऐसा क्यों होता है मेरे कृषि प्रधान देश मेअक्सर ऐसा क्यों होता हैकृषिक तो भूखा मरता हैसहुकार चैन से सोता है। बीज बोये कुछ थे खोखलेक्यों कोई ... By Bijender Singh BhandariJanuary 24, 20190 Entrepreneurs
Hindi इस गिरगिट के रंग सात इस सतरंगी दुनिया मे,एक अनोखी जात नित बदल कर रूप धरे,ये चम्चों की बात बलि चढें सही-गलत, ये ऐसी बुनते घात कब तक ... By Bijender Singh BhandariAugust 12, 20180
Hindi अब दिल्ली मे दम नही मेरा इस दिल्ली मे जन्म हुआ था ये सुन्दर शहर तब दिल मे बसा था कल्पना न थी जो दशा है शहर की ... By Bijender Singh BhandariApril 3, 20180
Hindi अदभुत गुण सागर “माँ” माँ की ममता का मोल नही होता करूणा भी कोई तोल नही सकता माँ की मधुर डाँट रस्ते बुनती है दुर्गम पथ आशीष ... By Bijender Singh BhandariSeptember 13, 20170
Hindi ऐसे पराक्रमी को नमन हमारा संगीन थामे तुम सीना चौडा कर गर्जते-शेर की मानिंद चलते हो दुश्मन देखे, उसे कम्पन हो जाती हमवतनों का हौंसला बढता है। कभी ... By Bijender Singh BhandariAugust 14, 20170