Antim Padav
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उस वृद्ध को अब नींद आती नहीं है
उसे खांसी भी बहुत सता रही है
जोडों का दर्द चुप सहता है क्यों कि
उसे घर की तंगी समझ आ रही है|

मंद दृष्टि है, पर अनुभव कर रहा है
उसे बोझ समझ ,घर ठुकरा रहा है
अश्रुओं को चुप पोंछ रहा है क्योंकि
उसे बेघर का डर सता रहा है।

अपनों संग गैर खुद को पा रहा है
उसे खुद का ‘चिना’ घर चिढा रहा है
दुख सहे चुप – हर्ष अब भी नही क्यों कि
उस हर्ष को, अब एकान्त खा रहा है।

जिसका खिवय्या ,वही गिरा रहा है
उसे रोग मान , घर कतरा रहा है
पूर्व के पाप मान वृद्ध चुप है क्यों कि
उसे ऋण समझ – मन को बहला रहा है।

फूल था भ्रम – अब बबूल पा रहा है
उसको जीवित तृष्कार खा रहा है
फोटो खुद की चुप घूरता वृद्ध क्यों कि
स्वर्गिय पूज्य बना – व्यंजन खा रहा है।

जीना क्यों ? धैर्य प्रशन उठा रहा है
उसका शेष लहू, तंज सुखा रहा है
“शान्त मृत्यू” चुप बुला रहा वृद्ध क्यों कि
उसे लक्ष्य बना, क्लेश छा रहा है।

इस पड़ाव में अतीत उबल रहा है
उसे परवरिश का स्नेह खल रहा है
मंथन कर वृद्ध चुप टूटता रहा क्यों कि
उसे “कुलदीप” जिन्दा जला रहा है।

उर्म शेष सोच -वृद्ध गस खा रहा है
उसे अकाल जाना कब भा रहा है
पोते के दम वो चुप ‘जी’ रहा क्यों कि
वही ‘ढाल’ बनके हक दिला रहा है।

फिर भी रक्त का रक्त वफा रहा है
अनुभव बाॅंटे ,पर सुन कौन रहा है?
इनका क्या होगा ? दुखी चुप है क्यों कि
स्नेह निश्वार्थ उसने जिंदा रखा है।

Bijender Singh Bhandari, First Hindi Blogger on WEXT.in Community is retired Govt. Employee born in 1952. He is having a Great Intrest in Writing Hindi Poems.

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    Natisha
    Natisha
    2 years ago

    Very nice 👌

    Bijender Singh bhandari
    Reply to  Natisha
    2 years ago

    Thank you beta

    Roshni
    Roshni
    2 years ago

    Great👍

    Bijender Singh bhandari
    Reply to  Roshni
    2 years ago

    Thank you beta

    Natisha
    Natisha
    2 years ago

    Very nice👌

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