हमदर्द खाक पर दिखा नही
ना स्वर उठा ‘यह बुरा हुआ’
मन मे हर्ष-आँसू “मगर के’
तुमसा कंगाल न कोई मरा,
जोड़ के पैसा -हाय पैसा
अन्तिम क्षण तक हाय पैसा
बहुत बडा है पैसा,लेकिन
सभी कुछ नही होता पैसा।
तेरी दौलत, तेरे बच्चे
बच्चे भी कुछ हों-पर अच्छे
पैसा क्या है?मैल बराबर
खतरे का संकेत बराबर
मानस जन्मा पारस जैसा
तू बन जा बापू के जैसा
बच्चे बने श्रवण के जैसा
घर होगा मन्दिर के जैसा।
मान खरीद, ईमान खरीद
पैसा मिला,अभिमान खरीद
सभी दुर्लभ सामान खरीद
क्या मृत्यु टाल सके पैसा?
प्राकृित कोप -न रोके पैसा
पंगु है इसके सम्मुख पैसा
बच्चों की सुप्रवृति ढालो तो
हर पल नये सवेरे जैसा।
जो जन्मा,क्या लाया पैसा?
कभी संग नही जाता पैसा
पात्र हैं हम, कर्म ‘वो’ लिखता
‘तन’,पंच तत्व-धन,माटि जैसा
पथ भटका, तब तृष्कार मिला
किस करतब आया था पैसा?
बर्गत दे मेहनती पैसा
बेमानी मे नफरत पैसा।
इस भंवर मे जो भी उलझा
इक दिन बहुत रूलाये पैसा
बच्चों का ईमान गया तो
जीवन नर्क बना दे पैसा
‘अन्तिम पथ’ मोह भ्रम टूटता
रंगत विभित्स दिखाता पैसा
प्रेम मिटे,पनपे ‘विष’ मन मे
घर मे जंग करवादे पैसा।
दिन- रैन पिसा, क्या अब चाहे
रूपया, कोठी,कार कमाई
बच्चों से जब नजर हटाई
समय शून्य जहाँ प्यार नही
दिया पैसा, पर दिशा ना दी
नित तर्क कर घायल हृदय हो
नफरत व कोहराम जहाँ हो
उस घर बच्चे कहाँ समायें?
पैसौं का विस्तार नशा है
स्वार्थी सौदागर है पैसा
आता है तो खुश कर देता
बडा दुखाये जाता पैसा
प्यास ना जाये,आग बढाये
नर्म-गर्म दिन लाता पैसा
इस आग को सम्भल के व्रतो
बना मिटा देता है पैसा।
ना जग तेरा,ना जग मेरा
चिडिया जैसे रैन बसेरा
मोह माया के बंधन सारे
रंग मंच सब नाटक जैसा
यम संदेशा जब आयेगा
सब कुछ तेरा मिट जायेगा
नाम एक बस रह जायेगा
अच्छी-बुरी निशानी जैसा।