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अगले दिन(ऑफ़िस में)….. सलोनी बहुत शांत अपने डेस्क पर काम कर रही है। उसकी आँखों से कोई भी साफ़ बता सकता है। वो पूरी रात सोयीं नहीं है।

सलोनी आज इतना जल्दी ऑफ़िस कैसे? कल तो तुम लेट गयी थी ना शायद। सलोनी की ऑफ़िस फ़्रेंड एंड जूनियर रितु ने सलोनी को काम में बिज़ी देख सवाल किया। आज भी कोई मीटिंग है क्या?

सलोनी बिना कूच कहे ना में सर हिला देती है। फिर अपने काम में लग जाती है।

रितु सलोनी को ऐसे शांत देख फिर उससे पूछती है…सब ठीक है ना? क्या कल कुछ हुआ क्या? घर पर कोई परेशानी है? तुम आज इतना चुप क्यों हो?



नहीं रितु, ऐसा कुछ भी नहीं थोड़ा काम बचा था। तो सोचा जल्दी आकर ख़त्म कर दूँ।

रितु- सलोनी कुछ तो ऐसा है, जो तुम मुझे नहीं बताना चाहती। तुम्हारी आँखों से साफ़ है। या तुम बहुत रोयीं हो या पूरी रात सोयीं नहीं हो। जितना मैंने तुम्हें अभी तक जाना है। तुम ऑफ़िस के काम की टेन्शन लेने वाले लोगों में से नहीं हो।

अगर ऐसा कुछ है, जो तुम्हें परेशान कर रहा है। तुम मुझे बता सकती हो। शायद मैं जूनियर हूँ, लेकिन May be तुम्हारी कोई हेल्प कर पाऊँ।

सलोनी- रितु कुछ ऐसा है, जिसने मुझे परेशान किया हुआ है। शायद तुम सही हो…….तभी….

ऑफ़िस बॉय- सलोनी मैडम, आपको वीपी साहब ने बुलाया है…..

सलोनी(वीपी के कैबिन में)- सर आपने बुलाया…..

निखिल- call me nikhil…. सलोनी तुम्हारा प्रेज़ेंटेशन अच्छा था। इसका मतलब ये नहीं कि तुम बातों में बिज़ी हो जाओ। हमें प्रोजेक्ट पर वर्क start करना है।

सलोनी- बहुत ग़ुस्से से, i know nikhil….मैं pending work ही finish कर रही थी। वैसे आज मेरा ऑफ़ था लेकिन मैं इसके work के लिए ही ऑफ़िस आयी हूँ।

सलोनी इतना कहकर बहुत ग़ुस्से से ऑफ़िस के बाहर आ जाती है। ग़ुस्से से आँखों के आँसू छुपाने की कोशिश करती वो अपने work station पर आती है।

रितु सलोनी को ऐसे देखकर वापस उसके पास आती है। बॉस ने कुछ कहा क्या? What happened?

सलोनी- बैठ जाती है, अपने आँसुओं को गिरने से पहले ही पोंछ लेती है। जिससे कोई उसे ऐसे ना देख ले। यार…. पता नहीं, वीपी को क्या परेशानी है।

रितु- आख़िर ये सब हो क्या रहा है। तू अपने काम में इतनी पर्फ़ेक्ट है। फिर ये सब क्यों? मुझे प्लीज़ सब ठीक से समझा।

राहुल को अपनी तरफ़ आते देख सलोनी चुप हो जाती है। वापस अपने काम में बिज़ी होने का नाटक करती है।

राहुल- हाय! सलोनी….how are you?

सलोनी- I’m good.

सलोनी रितु की तरफ़ इशारा करके राहुल को रितु से इंट्रडूस करवाती है।

राहुल- सलोनी मुझे कुछ बात करनी थी। क्या हम अभी कॉन्फ़्रेन्स रूम में बात कर सकते है।

सलोनी- नहीं राहुल मुझे बहुत काम है। हम बाद में बात करते है।

राहुल- सलोनी बहुत ज़रूरी है, मुझे प्रोजेक्ट के लिए कुछ बताना है। वैसे भी मेरे पर ज़्यादा टाइम नहीं है। आज शाम मेरी फ़्लाइट भी है। इसलिए मैं जाने से पहले सब क्लीर कर देना चाहता हूँ।

सलोनी- ठीक है…. मैं थोड़ी में मिलती हूँ। राहुल को बिना देखे रितु से बात करने लगती है।

सलोनी- रितु को सब बताती है….आख़िर वो इतनी परेशान क्यों है। राहुल को उसने इग्नोर क्यों किया। निखिल को जानती है।

सलोनी उसे राहुल के प्रपोज़ल के बारे में । भी बताती है।

रितु तू ही बता मैं क्या करूँ कैसे हाँ कह दूँ। जिससे मैं ठीक से जानती भी नहीं। लगता था। जिसे अच्छे से जानती हूँ वो अजनबी सा हो गया है।

रितु- सलोनी, तुझे सीधे निखिल से बात कर लेनी चाहिए थी। आख़िर वो ये सब क्यों कर रहा है।

राहुल के लिए तुझे थोड़ा टाइम लेना चाहिए और उसे सब बता देना चाहिए। अगर वो इस सबके बाद भी तुझ से शादी करना चाहता है। तो वो तेरे लिए बिलकुल सही है।

वैसे भी तू हमेशा कहती थी ना, तुझे साफ़ बात करने वाले पसंद है। तुझे ऐसा ही कोई लाइफ़ पार्ट्नर चाहिए था।

तो सलोनी मैं यही कहूँगी अपने भूतकाल को भूल जा अपने फ़्यूचर को देख।

सलोनी को रितु की बातें काफ़ी हद तक ठीक लगती है।

तभी सलोनी का फ़ोन बजता है….Unkown no. सलोनी कॉल रिसीव करती है।



Hi….Saloni,

Nikhil….

अभी मेरे कैबिन में आओ।

सलोनी को ग़ुस्सा आता। आख़िर निखिल उसके पीछे ऐसे क्यों पड़ा है। वो रितु को थैंक्स बोल कर चली जाती है।

सलोनी (निखिल के कैबिन में)- कहो निखिल क्या हुआ।

निखिल- सलोनी ये तुम्हारा ड्रॉइंग रूम नहीं है। जहाँ तुम सब बातें कर रहे हो। वर्कप्लेस है। तुम राहुल से क्या बातें कर रही थी।

निखिल बहुत ग़ुस्से से- ये तुम्हारा घर नहीं यहाँ कही भी खड़े होकर बातें करते रहो। ऑफ़िस के कुछ रूल होते है।

(सलोनी को निखिल की बातों पर बहुत ग़ुस्सा आता है। आख़िर वो बेमतलब की बातों पर उसे क्यों सुना रहा है)

निखिल- यहाँ तुम्हारा ये रवैया नहीं चलेगा। किसी से भी चाहा बात किया और जब चाहा छोड़ दिया।

निखिल की इस बात से सलोनी चौंक जाती है।

सलोनी- आख़िर तुम्हारा मुझसे क्या प्रॉब्लम है, निखिल। मुझे पता है, मैं क्या कर रही हूँ। मैंने किसे छोड़ दिया। मैं वैसे भी आप जैसी नहीं हूँ। जो थोड़ा क़द बढ़ने पर लोगों को भूल जाऊँ।

निखिल- ग़ुस्से से पलटता है और सलोनी की बाँहों को पकड़े लेते है। मैं भूल गया या तुम भूल गयी। कितनी आसानी से तुम मुझे बिना बताए चली गयी। कभी एक बार भी पलट कर देखा। मैं तुम्हारे बिना कैसा था। कहाँ था। क्या हुआ होगा मेरा।

तुम्हें तो शायद याद भी नहीं की हमारे बीच कुछ था। तभी तुमने मुझे देखकर भी कोई ख़ुशी ज़ाहिर नहीं की।

सलोनी- क्या तुमने पता किया था। मैं क्यों ऐसे चली गयी। तुम्हारे लिए मैंने मेसिज छोड़ा था। तुम अपने घर थे, तुम्हारे सभी नम्बर ऑफ़ थे। मुझे घर वापस जाना था।

इसलिए मैंने तुम्हारे दोस्त के पास मेरा घर का नम्बर और मेरा ऐड्रेस छोड़ा था। जिससे तुम वापस आओ तो मुझसे बात के सको।

निखिल- झूठ मत कहो। मुझे कोई मेसिज नहीं मिला।

सलोनी- मैंने तुम्हारे बारे में जानने के लिए तुम्हारे फ़्रेंड को बहुत कॉल किए। लेकिन उसने कहा तुम अभी भी वापस नहीं आए। मुझे लगा था, तुम कभी तो मिलोगे मैं तुम्हें सब समझा दूँगी।

निखिल- इतनी बड़ी ग़लतफ़हमी कैसे हो सकती है। क्या तुम्हारी ज़िन्दगी में कोई नहीं है।

सलोनी- नहीं, मुझे कभी कोई ऐसा नहीं मिला जिससे में तुम्हें भूल जाती। मुझे हमेशा लगता था। तुम मेरे लिए वापस ज़रूर आओगे।

सलोनी ख़ुश हो निखिल को गले लगाने आगे बढ़ती है। तभी पीछे से पापा की आवाज़ आती है। वो पलट कर देखती है तो एक छोटी बच्ची का हाथ पकड़े एक औरत गेट पर खड़ी है।

आओ बेटा…..निखिल सलोनी से- सलोनी ये मेरी वाइफ़ नेहा है और ये मेरी प्यारी बेटी। सलोनी की आँखों में आँसू होते है। वो बिना कुछ कहे जाने लगती है। तभी उसे नेहा की आवाज़ आती है….सलोनी..वो रुक जाती है और पीछे मुड़कर देखती है।

नेहा- सलोनी से अपनी की बेटी की तरफ़ इशारा करते हुए। ये बहुत शैतान हो गयी है। सलोनी चलो पापा को बहुत काम है।

सलोनी निखिल की तरफ़ देखती है। उसे एहसास होता है। वो आज भी उसे इतना प्यार करता है। लेकिन क़िस्मत मैं शायद वो ऐसे ही लिखा था।

इस बार सलोनी की आँखों में ख़ुशी के आँसू थे वो ये सोच कर ख़ुश थी। वो निखिल के दिल में आज भी ख़ास जगह रखती है। उसने अपनी बेटी का नाम उसके नाम पर रखा है। वो उसे ऐसे देखकर ख़ुश है।

सलोनी को अपने डेस्क पर एक नोट मिलता है।



I’m sorry Saloni…..

Maine tumse woh sab kaha. Mujhe nahi pata tha. Tum Nikhil ko chahti ho. Mujhe Ritu se sab pata chala. I’m going.

Bye takecare……

Rahul.

सलोनी जल्दी से अपना बैग उठती है और रितु के डेस्क पर जाती है। रितु तूने राहुल को क्या कहा। वो कहाँ गया है। कितना टाइम हुआ उसे।

रितु उसे बताती है। उसने सब बातें ऑल्रेडी सुन ली थी। उसने सिर्फ़ इतना पूछा क्या तुम निखिल को प्यार करती थी तो मैंने हाँ कह दिया और कुछ कहने से पहले वो चला गया।

सलोनी रितु को राहुल का फ़्लाइट टाइमिंग ऐड्मिन से पता करने को कहकर वहाँ से चली जाती है।

सलोनी जल्दी से ऑफ़िस से बाहर आती है और टैक्सी का लेती है। उसे रितु कॉल करके बताती है कि १ घंटे में राहुल की फ़्लाइट है।

सलोनी राहुल को कॉल करने की कोशिश करती है, लेकिन उसका फ़ोन नोट रीचबल होता है।

उसे अब सब क्लीर होता है, वो राहुल ही है जिसे शायद वो ढूँढ रही थी। निखिल से बातों में पता ही नहीं चला की कब शाम हो गयी। एक साथ टैक्सी रूकती है।

मैडम एर्पॉर्ट आ गया। सलोनी टैक्सी ड्राइवर को वही रुकने का इशारा करके चली जाती है। वहाँ उसे पता चलता है कि मुंबई की फ़्लाइट ५ मिनट पहले ही जा चुकी है। वो एर्पॉर्ट से बहुत उदासहो बाहर आती है। बाहर बहुत तेज़ बारिश शुरू हो गयी। सलोनी के आँसू बारिश में मिल जाते है।

वो टैक्सी मैं वापस चुपचाप आकर बैठ जाती है। उसे ड्राइवर को चलने का इशारा करती है। ड्राइवर अचानक से ब्रेक लगता है।

सलोनी- क्या हुआ भैया।

मैडम कोई आगे खड़ा है। सलोनी बाहर देखती है तो वो राहुल है। वो राहुल को देखकर बहुत ख़ुश हो जाती है। लेकिन फिर भी टैक्सी के बाहर नहीं आती और टैक्सी वाले को चलने को कहती है। राहुल सलोनी को ऐसे जाते देखकर समझ नहीं पाता। वो दूसरी टैक्सी से उसके पीछे जाता है ये सोचकर की वो आज सलोनी से जवाब लेकर ही वापस जाएगा। सलोनी ड्राइवर को एक चायवाले की दुकान के आगे रोकती है और टैक्सीवाले के पैसे दे वहाँ चली जाती है। राहुल को कुछ भी समझ नहीं आता है। आख़िर वो ये सब क्या कर रही है।

सलोनी चायवाले को दो बनाने को बोलती है।



राहुल- सलोनी तुम वहाँ मेरे लिए आयी थी ना तो फिर रुकी क्यों नहीं।

सलोनी- तुम्हारी भी फ़्लाइट थी ना तुम गए क्यों नहीं।

राहुल- क्योंकि रितु का कॉल आया उसने मुझे बताया तुम्हें मुझसे कुछ बात करनी है।

सलोनी- हाँ, मुझे भी लगा था। तुम्हें मुझे कुछ बात बतानी है।

राहुल- मुझे कुछ नहीं पूछना सिर्फ़ इतना बता दो। क्या तुम मेरी बनोगी। क्या तुम मेरा surname मुझसे साझा करोगी।

सलोनी- हाँ……..क्या अभी भी कोई डाउट है।

राहुल- बारिश में खड़ा हो बहुत ज़ोर से चिलाया। सलोनी I love you…..

सलोनी उसे अपनी तरफ़ खिंचतीं है। धीरे से उसके कान में कहती है…..। love you too……

चायवाला- आपकी पहली चाय…

“कुछ लोग अजनबी से मिलते है, अनजानी राहों पर
ना जाने कब वो अपने बन साथ चलने लगते है”

A writer having expertise in writing Multiple Domains. An Enthusiastic writer with a passion for Reading and writing. A Dedicated Reader and Multi Dimension Writer in WEXT India Ventures. I'm creating highly informative content for WEXT India Ventures about Entrepreneurship and Shark Tank India.

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Prasad Deshpande
Prasad Deshpande
7 years ago

Really amazing.. Kalam ka jadu bahot khas

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