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मेरी अभिलाषा

व्यर्थ जीवन गया, क्या दुनियाँ को दिया? क्यों जन्मा था ? क्यों रहे याद हमारी? शहादत न सही, कुछ करता हितकारी युगों तक ...
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तेेरी दौलत – Hindi Poetry

हमदर्द खाक पर दिखा नही ना स्वर उठा ‘यह बुरा हुआ’ मन मे हर्ष-आँसू “मगर के’ तुमसा कंगाल न कोई मरा, जोड़ के पैसा -हाय पैसा अन्तिम क्षण तक हाय पैसा बहुत बडा है  पैसा,लेकिन सभी कुछ नही होता पैसा।   तेरी दौलत, तेरे बच्चे बच्चे भी कुछ हों-पर अच्छे पैसा क्या है?मैल बराबर खतरे का संकेत बराबर मानस जन्मा पारस जैसा तू बन जा बापू के जैसा बच्चे बने श्रवण के जैसा घर होगा मन्दिर के जैसा।   मान खरीद, ईमान ...
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कुछ पेड लगा – Hindi Poetry

हरियाली की हत्या कर डाली ‘डाली-डाली’ यहाँ काट डाली विकास कार्य से कंक्रीट बढा कर धरा विनाश की नीव धर डाली। जल ‘भू ...
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“नेक गय्या” – Poetry

इक दिन ‘बछिया’ बोली गय्या से मय्या, हम जन्में क्या पाया है? हम नर हितकारी सिंग से खुर तक क्यों बध कर बनते ...
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उलझने – 2 : Deepti Singh

अगले दिन(ऑफ़िस में)….. सलोनी बहुत शांत अपने डेस्क पर काम कर रही है। उसकी आँखों से कोई भी साफ़ बता सकता है। वो ...
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उलझने – 1 : Deepti Singh

कभी इतनी बारिश नहीं हुई, आज पता नहीं ऐसा क्या हो गया। आज कैसे भी टाइम पर ऑफ़िस पहुँच जाऊँ।सब कुछ आज ही ...

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