भारत सरकार ने हमेशा से ही उद्योग के क्षेत्र को बढ़ावा देने की कोशिश की है. देश में उद्यमियों की तादाद बढ़ती जा रही है, इसका एक मुख्य कारण युवा शक्ति भी है. हमारे देश की कुल आबादी के लगभग 40% लोग युवा हैं, जो लगातार उद्योग व्यापार की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए सरकार ने लगभग हर क्षेत्र के स्टार्टअप्स के लिए तमाम योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं का लाभ आप भी ले सकते हैं और उद्यमिता की ओर अपना कदम बढ़ा सकते हैं. आइये जानते हैं इन योजनाओं के बारे में-
प्रधानमंत्री मुद्रा योजनाः केंद्र सरकार ने छोटे उद्यम शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत की है, इसके अंतर्गत लघु उद्योगों को 10 लाख रुपए तक लोन दिया जाता है जिसकी न्यूनतम ब्याज दर 12% है। वर्ष 2015 में शुरू की गई इस योजना के दो उद्देश्य हैं. पहला, स्वरोजगार के लिए आसानी से लोन देना। दूसरा, छोटे उद्यमों के जरिए रोजगार का सृजन करना। इसके अंतर्गत 3 श्रेणियों में लोन दिए जाते हैं:
शिशुः 50 हजार रुपए तक।
किशोरः 50 हजार रुपए से अधिक और 5 लाख रुपए तक।
तरुणः 5 लाख रुपए से अधिक और 10 लाख रुपए तक।
स्टैंड–अप इंडियाः अप्रैल, 2016 से इस योजना की शुरूआत हुई। इसके अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाता है कि हर ब्रांच से कम से कम एक अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति और एक महिला को बैंक से लोन (10 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ रुपए तक) मिले। यह लोन ग्रीनफील्ड (नए विचार वाला) एंटरप्राइज स्थापित करने के लिए दिया जाता है।
डेयरी उद्यमिता विकास योजना: भारत सरकार ने असंगठित क्षेत्र में मूलभूत बदलावों के उद्देश्य के साथ इस योजना को शुरू किया है। कृषि, पशु-पालन और खाद्य पदार्थों के व्यवसाय से जुड़े लोग इसका लाभ उठा सकते हैं। 2010 में कृषि और ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक (नाबार्ड) की अध्यक्षता में इस योजना को शुरू किया गया।
क्रेडिट सुनिश्चित योजना: यह योजना सूक्ष्म, लघु और मध्यम व्यवसाय के लिए अगस्त, 2000 में शुरू की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य क्रेडिट डिलिवरी सिस्टम को मजबूत करना और एमएसई सेक्टर को क्रेडिट उपलब्ध कराने वाले सिस्टम को सहज बनाना है। इस योजना के तहत 1 करोड़ रुपए तक की कार्यकारी पूंजी सुविधा प्रदान की जाती है जिसे बिना किसी कोलेटरल सिक्योरिटी के बढ़ाया जा सकता है।
प्रदर्शन और क्रेडिट रेटिंग योजनाएं: इस योजना को नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन (एनएसआईसी) द्वारा अगस्त 2016 में इसे लॉन्च किया गया। इसके लिए 1 करोड़ रुपए या इससे अधिक टर्नओवर वाली कंपनियां ही पात्रता रखती हैं।
कच्चा माल सहायता योजना: राष्ट्रीय लघु उद्योग कॉर्पोरेशन, औद्योगिक इकाईयों को बड़े खर्च जैसे कि कच्चा माल जुटाने के दौरान लोन के रूप में सहयोग देता है। इस योजना के अंतर्गत अगर लोन की राशि 270 दिनों के भीतर चुकाई जाती है तो सूक्ष्म उद्यम को 9.5%-10.5% और लघु-मध्यम उद्यम को 10%-11% तक ब्याज देना पड़ता है।
परंपरागत उद्योगों के विकास के लिए फंडः खादी और ग्रामीण उद्योग आयोग ने परंपरागत उद्योगों और कलाकारों की सशक्तिकरण के लिए 2005 में इस योजना को लॉन्च किया था। इसके अंतर्गत एक प्रोजेक्ट (जिसे 3 साल के भीतर शुरू करना होता है) को अधिकतम 8 करोड़ रुपए तक आर्थिक सहयोग मुहैया कराने का प्रावधान है।
राष्ट्रीय उद्यमशीलता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय का एक प्रमुख संगठन है, जो उद्यमशीलता और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण, परामर्श, अनुसंधान आदि में कार्यरत, इस संस्थान की प्रमुख गतिविधियों में प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण, प्रबंधन विकास कार्यक्रम, उद्यमशीलता-सह-कौशल विकास कार्यक्रम, उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम और क्लस्टर हस्तक्षेप शामिल हैं।
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