holi-special-आस्था-पर्व

Holi Special : आस्था पर्व

कई पर्व हैं हिन्द में
हम रस लेते संग-संग
क्यों गर्भ न हों बाशिंदों
इस महक से जग है दंग।

होली की उमंग चढे
तुम संयम का दो दान
सदभावना बनी रहे
वो चाहे तब रंग डाल।

पर्व का अर्थ मेल है
मेल से स्नेह हो व्यक्त
स्नेह देश का हर्ष है
यह भाव हिन्द मे मस्त।

पिचकारी से यूँ भिगो
बसंती तन बन जाये
पग न बहके-मन  महके
मिलन गदगद कर जाये।

शुद्ध भाव का रस मिले
उमंग मे ना हो ‘रार’
ठट्टा-मस्ती खूब चले
पर रखो अदब  का ध्यान ।

जो तुम गले लगो कहीं
कुछ शेष न हो मन भेद
जन-जन को संदेश मिले
रंग कई-हिन्द है एक।

पर्व ढले तो क्या फर्क?
दिलों मे ना हो दूरी
पर्व आस्था दो जैसी
कल होगी मेरी बारी।

कटु भाव लिये होलिका
बैठी प्रहलाद के संग
भस्म होलिका अग्नि मे
वरदान हो गया व्यर्थ।

धर्म माने कर्म निभा
कर्म संग निभता फ़र्ज
बस इतनी चाह देश की
तू चुका देश का क़र्ज।

Bijender Singh Bhandari

Bijender Singh Bhandari, First Hindi Blogger on WEXT.in Community is retired Govt. Employee born in 1952. He is having a Great Intrest in Writing Hindi Poems.

Post navigation

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
2 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Anupama
Anupama
8 years ago

Jai hind…happy holi

If you like this post you might alo like these

तेेरी दौलत – Hindi Poetry

हमदर्द खाक पर दिखा नही ना स्वर उठा ‘यह बुरा हुआ’ मन मे हर्ष-आँसू “मगर के’ तुमसा कंगाल न कोई मरा, जोड़ के पैसा -हाय पैसा अन्तिम क्षण तक हाय पैसा बहुत बडा है  पैसा,लेकिन सभी कुछ नही होता पैसा।   तेरी दौलत, तेरे बच्चे बच्चे भी कुछ हों-पर अच्छे पैसा क्या है?मैल बराबर खतरे का संकेत बराबर मानस जन्मा पारस जैसा…
2
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x