कई पर्व हैं हिन्द में हम रस लेते संग-संग क्यों गर्भ न हों बाशिंदों इस महक से जग है दंग।…
“भूलता है आदमी” – Poetry
उर्म बढने का भ्रम सबको, होता है जन्म दिन पर घटते वर्ष का सत्य तो भुल जाता है आदमी। जब…
“वोट की राजनीति है ऐसी” – Poetry
यहॉ वोट की राजनीति है ऐसी हाथ जोड, फिर कर एेसी की तैसी तू शब्द जाल से मस्तक बुन सबका…
“आतंक फैलाने से क्या होगा” – Poetry
“अातंक फैलाने से क्या होगा ?” अातंक फैलाने से क्या होगा ? कुछ लहु गिरेगा-धुँआ उठेगा दहशत से हमे डरा…