मेरे कृषि प्रधान देश मेअक्सर ऐसा क्यों होता हैकृषिक तो भूखा मरता हैसहुकार चैन से सोता है। बीज बोये कुछ…
इस गिरगिट के रंग सात
इस सतरंगी दुनिया मे,एक अनोखी जात नित बदल कर रूप धरे,ये चम्चों की बात बलि चढें सही-गलत, ये ऐसी बुनते…
कुछ पेड लगा – Hindi Poetry
हरियाली की हत्या कर डाली ‘डाली-डाली’ यहाँ काट डाली विकास कार्य से कंक्रीट बढा कर धरा विनाश की नीव धर…
“नदी अपेक्षा करती है” – Poetry
“नदी अपेक्षा करती है” हिमगिरि को जब गर्मी लगती है सहस्रों बूँदें रिसने लगती है मिलन जिस धरातल पर होता…
International Women’s Day Special : साहस
मै देख तो रही थी सब कुछ फिर क्यों दर्शाती अँधी हूँ? मै सुन भी लेती थी सब कुछ फिर…
“वोट की राजनीति है ऐसी” – Poetry
यहॉ वोट की राजनीति है ऐसी हाथ जोड, फिर कर एेसी की तैसी तू शब्द जाल से मस्तक बुन सबका…