हार जीत किस्सा जीवन का प्यार कभी धुत्कार मिला है, चढ़ते रवि को नमन करें सब दुःख में अपना दूर…
आखिर कब तक – Poetry
नारि जन्म ,जननी फलकारी स्नेह की पात्र हूँ , समझो तो मानस हूँ , समान हकधारी क्या दुखता है ,…
अन्तिम पडाव
उस वृद्ध को अब नींद आती नहीं है उसे खांसी भी बहुत सता रही है जोडों का दर्द चुप सहता…
अधर में मजदूर
मेरे दर्द का मंत्र परिजनों संग है, शकून का टौनिक वही पुराना है। आज घर गांव का महत्व हम समझे,…
भगत देश का फिर लौटेगा
तुम काहे को रोये थे प्रियवर, भगत सिंह स्वदेश पर मरता था। जब चुमा फंदा फांसी उसने, तब कितना गदगद…
इस गिरगिट के रंग सात
इस सतरंगी दुनिया मे,एक अनोखी जात नित बदल कर रूप धरे,ये चम्चों की बात बलि चढें सही-गलत, ये ऐसी बुनते…
अब दिल्ली मे दम नही
मेरा इस दिल्ली मे जन्म हुआ था ये सुन्दर शहर तब दिल मे बसा था कल्पना न थी जो दशा…
अदभुत गुण सागर “माँ”
माँ की ममता का मोल नही होता करूणा भी कोई तोल नही सकता माँ की मधुर डाँट रस्ते बुनती है…
ऐसे पराक्रमी को नमन हमारा
संगीन थामे तुम सीना चौडा कर गर्जते-शेर की मानिंद चलते हो दुश्मन देखे, उसे कम्पन हो जाती हमवतनों का हौंसला…
मेरी अभिलाषा
व्यर्थ जीवन गया, क्या दुनियाँ को दिया? क्यों जन्मा था ? क्यों रहे याद हमारी? शहादत न सही, कुछ करता…